रविवार, 4 अक्तूबर 2009

रामायण और विश्व में कहा कहा है ? एक अनुसंधान

भारत के इतिहास में राम जैसा विजेता कोई नहीं हुआ . उन्होंने रावण और उसके सहयोगी अनेक राक्षसों का वध कर के न केवल भारत में शांति की स्थापना की बल्कि सुदूर पूर्व और ऑस्ट्रेलिया तक में सुख और आनंद की एक लहर व्याप्त कर दी. श्रीराम अद्भुत सामरिक प्रक्रम व्यहार कुशलता और विदेश नीति के स्वामी थे. उन्होंने किसी देश पर अधिकार नहीं किया लेकिन विश्व के अनेक देहो में उनकी प्रशंशा के विवरण मिलते है जिससे पता चलता है की उनकी लोकप्रियता दूर दूर तक फैले हुई थी.

आजकल मेडागास्कर कहे जाने वाले द्वीप से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक के द्वीप समूह पर रावण का राज था . राम विजय के बाद इस सरे भू भाग पर राम की कीर्ति फ़ैल गई . राम के नाम के साथ रामकथा भी इसे भाग में फैले और बरसो तक एयः के निवासी के केवन का प्रेरक अंग बनी रही.

श्री लंका और बर्मा में रामायण कई रूपों में प्रचलित है. लोक गीतों के अतिरिक्त रामलीला की तरह के नाटक भी खेले जाती है . बर्मा में बहुत से नाम राम के नाम पर है. रामवती नगर तो राम नाम के ऊपर ही स्थापित हुआ है. . अमरपुर के विहार में राम लक्ष्मण सीता और हनुमान के चित्र आज तक अंकित है. (बर्मा टूरिस्म वेबसाइट पर देखे http://tourism.goldenlandpages.com/rama.html )

मलयेशिया में राम कथा का प्रचार अभी तक है. वह मुस्लिम भी अपने नाम के साथ अक्सर राम लक्ष्मण और सीता नाम जोरते है. यहाँ रामायण को "हिकायत सेरीरम" कहते है. ( देखे http://www.bahasa-malaysia-simple-fun.com/malaysia-art-culture.html ,     http://orias.berkeley.edu/SEARama/RamaMalaysia.htm ,   http://www.scribd.com/doc/9229393/Ramayana ) 

थाईलैंड के पुराने रजवाडो में भरत के भाति राम की पादुके लेक्कर राज्य करने की परंपरा पाय जाती है. वे सभी अपने को रामवंशी मानते है. ( देखे http://www.seasite.niu.edu:85/thai/literature/ramakian/introduction.htm)
यहाँ अजुध्या , लवपुरी और जनकपुर जैसे नाम वाले शेहर है. ( देखे http://www.thaifolk.com/doc/ayudhaya_e.htm and Ayudhya city municipality website http://www.nmt.or.th/ayutthaya/ayutthaya/default.aspx  and Thailand Janakpur http://spirituality.indiatimes.com/articleshow/1364100.cms ) यहाँ पर राम कथा को "रामकीर्ति " कहते है उर मंदिरों में जगह- जगह रामकथा के प्रसंग अंकित है.

हिंद चीन (लाओस, कम्बोडिया, वियतनाम ) के अनाम कई शिलालेखों में राम का यशोगान है. यहाँ के निवासियों में ऐसा विस्वास प्रचलित है की वे वानर कुल से उत्पन है और श्रीराम नाम के रजा यहाँ के सर्वप्रथम शाशक थे. रामायण पर आधारित कई नाटक यहाँ के साहित्य में भी मिलता है.

कम्बोडिया में भी हिन्दू सभ्यता के अन्य अंगो के साथ साथ रामायण का प्रचलन आज तक पाया जाता है. छटी शताब्दी के एक शिलालेख के अनुसार वहां कई स्थानों पर रामायण और महाभारत का पाठ होता था.

जावा में रामचंद्र राष्ट्रीय पुरुषोत्तम के रूप में सम्मानित है. वहां के सबसे बड़ी नदी का नाम सरयू है. (देखे http://www.borobudurpark.co.id/en-ramayana2.html and http://indahnesia.com/indonesia/JAWRAM/ramayana.php)रामायण के कई प्रसंगों के आधार पर वह आज भी रात रात भर कठपुतलियों का नाच होता है . (देखे JAVA PUPPET DANCE http://www.metacafe.com/watch/1235369/modern_shadow_puppet_play_java_indonesia/ )

जावा के मंदिरों में वाल्मीकि रामायण के श्लोक जगह जगह अंकित मिलते है. सुमात्रा द्वीप का वाल्मीकि रामायण में "स्वर्णभूमि " नाम दिया गया है. रामायण यहाँ के जनजीवन में वैसे ही अनुप्राणित है जैसे भारतीयों के. \
बाली द्वीप भी थाईलैंड, जावा, सुमात्रा की तरह आर्य संस्कृती का एक दूरस्थ सीमा स्तम्भ है .. रामायण का प्रचार यहाँ भी घर घर है.

इन देशो के अतिरिक्त फिलीपींस , चाइना, जापान, प्राचीन अमेरिका तक राम कथा का प्रभाव मिलाता है.

मेक्सिको और मध्य अमेरिका के माया सभ्यता और इंका सभ्यता पर प्राचीन भृत्य संस्कृति की जो छाप मिलती है उसमे रामायण कालीन संस्कारो का प्राचुर्य है. पेरू में रजा अपने को सूर्यवंशी की नहीं बल्कि " कौश्ल्यासुत राम " के वंशज भी मानते है. . "राम सितव " नाम से आज भी यहाँ "राम सीता उत्सव " मनाया जात है जो की लगभग भारत में नवरात्री के समय ही वह मनाया जाता है. In Peru and south America
http://vedicempire.com/index.php?option=com_content&task=view&id=25&Itemid=26   http://www.voiceofdharma.com/books/civilization/partI3.htm )
 

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