आज की इस पोस्ट में मै कुछ अपने पसंदीदा शेर दे रहा हु . ये शेर मेरे नही है बल्कि दूसरो के है, ये कैसे मेरे हाथ लग गए है, कहना मुश्किल है . पर इतना याद है कि करीबन १९९८ में जब एम् बी ऐ कि पड़ी कर रहा था तभी इनका शौक लगा. इधर दो तीन साल से ये छूट गया था. ये ऐसे शेर है जो मेरे जीवन में ख़ास जगह रखते है. पेश ऐ नज़र है :
१.
ठोकरे खा के जो सम्हलते है, वो निजाम ऐ जहा बदलते है,
रौशनी के नए चरागों से , रूह तपती है , जिस्म जलते है,
रास्तो को हमे बदलना है, रास्ते खुद कहा बदलते है.
२
हम अपने गम कि शिद्दत को कम नही करते,
जरा सि बात पर आखो को नाम नही करते ,
बने बनाइये रास्तो पर चलते नही,
तामाम लोग जो करते , हम नही करते.
३.
उमरे दराज़ मांगकर लाये थे चार दिन, दो आरजू में कट गए, दो इंतज़ार में .
४.
है तेरे पास खजाने भी बहुत, तेरे देने के बहाने भी बहुत,
हर घडी तेरी इनायत है नयी , तेरे एहसान पुराने भी बहुत.
५.
सिमट न सका कभी ज़िन्दगी का फैलाव,
कही ख़तम गम ऐ आशिकी नही होता,
निकल आती है कोई न कोई गुंजाइश
किसी का प्यार कभी आखिरी नही होता.
६.
हम तो मसरूफ थे अपनी तनहइयो में ,
मुद्दतो बाद किसी ने पुकारा है,
एक पल ठहर कर के सोचने लगे,
क्या ये नाम हमारा है?
७.
हुस्न कि ये अदा बेवजह तो नही, कुछ तो है , जिस से पर्दादारी है.
८.
हमे उनकी इबादत से फुर्सत नही मिलती, लोग न जाने किसको खुदा कहते है.
दिल में रखा है उनको , लोग न जाने क्यों जुदा कहते है.
९.
तुमने सोचा ही नही हालात बदल सकते थे,
अपने आसू मेरे खुशियों से बदल सकते थे ,
तुम तो ठहर गए झील के पानी के तरह,
दरिया बनते तो बहुत दूर तक निकल सकते थे.
१०.
कुदरत के करिश्मों में अगर रात न होती ,
ख्वाबो में उनसे मुलाकात न होती ,
ये दिल तो हर एक गम कि वजह है ग़ालिब ,
ये दिल ही न होता तो कोई बात न होती .
११.
उतरे जो ज़िन्दगी तेरी गहराइयों में हम,
महफ़िल में रह कर भी रहे तन्हियो में हम,
दीवानगी नही तो और क्या कहे
इंसान दूढ़ते रही परछाईयो में हम .
आम बस इतना ही .....और भी लम्बी लिस्ट है. ..बाद में और भी अपडेट करुगा. पढने के लिए धन्यवाद. कैसा लगा ये कमेंट्स में जरुर बताइयेगा .
१.
ठोकरे खा के जो सम्हलते है, वो निजाम ऐ जहा बदलते है,
रौशनी के नए चरागों से , रूह तपती है , जिस्म जलते है,
रास्तो को हमे बदलना है, रास्ते खुद कहा बदलते है.
२
हम अपने गम कि शिद्दत को कम नही करते,
जरा सि बात पर आखो को नाम नही करते ,
बने बनाइये रास्तो पर चलते नही,
तामाम लोग जो करते , हम नही करते.
३.
उमरे दराज़ मांगकर लाये थे चार दिन, दो आरजू में कट गए, दो इंतज़ार में .
४.
है तेरे पास खजाने भी बहुत, तेरे देने के बहाने भी बहुत,
हर घडी तेरी इनायत है नयी , तेरे एहसान पुराने भी बहुत.
५.
सिमट न सका कभी ज़िन्दगी का फैलाव,
कही ख़तम गम ऐ आशिकी नही होता,
निकल आती है कोई न कोई गुंजाइश
किसी का प्यार कभी आखिरी नही होता.
६.
हम तो मसरूफ थे अपनी तनहइयो में ,
मुद्दतो बाद किसी ने पुकारा है,
एक पल ठहर कर के सोचने लगे,
क्या ये नाम हमारा है?
७.
हुस्न कि ये अदा बेवजह तो नही, कुछ तो है , जिस से पर्दादारी है.
८.
हमे उनकी इबादत से फुर्सत नही मिलती, लोग न जाने किसको खुदा कहते है.
दिल में रखा है उनको , लोग न जाने क्यों जुदा कहते है.
९.
तुमने सोचा ही नही हालात बदल सकते थे,
अपने आसू मेरे खुशियों से बदल सकते थे ,
तुम तो ठहर गए झील के पानी के तरह,
दरिया बनते तो बहुत दूर तक निकल सकते थे.
१०.
कुदरत के करिश्मों में अगर रात न होती ,
ख्वाबो में उनसे मुलाकात न होती ,
ये दिल तो हर एक गम कि वजह है ग़ालिब ,
ये दिल ही न होता तो कोई बात न होती .
११.
उतरे जो ज़िन्दगी तेरी गहराइयों में हम,
महफ़िल में रह कर भी रहे तन्हियो में हम,
दीवानगी नही तो और क्या कहे
इंसान दूढ़ते रही परछाईयो में हम .
आम बस इतना ही .....और भी लम्बी लिस्ट है. ..बाद में और भी अपडेट करुगा. पढने के लिए धन्यवाद. कैसा लगा ये कमेंट्स में जरुर बताइयेगा .