सोमवार, 9 जुलाई 2012

बंता सिंह ने इंडियन आर्मी में भर्ती ले ली।

बंता सिंह ने इंडियन आर्मी में भर्ती ले ली।
उसे पाकिस्तानी सेना के साथ लड़ने के लिए फ्रन्ट पर भेजा गया।

लड़ाई के दौरान बंता ने अपने दिमाग का इस्तेमाल करा और जोर जोर से मुसलमानी नाम पुकारने शुरू किए-शारीक खान..आमिर शेख..समीर..।

बंता जब नाम पुकारता तो पाकिस्तान सेना से कोई न कोई सैनिक का जवाब आता यस सर! और बंता उस सैनिक को गोली से भून देता।
ऐसा करते हुए बंता ने आधी पाकिस्तानी सेना का सफाया कर डाला।

पाकिस्तानी कमांडर को भनक लग गई की बंता सिंह धोखे से उसके सैनिकों को मार रहा है।
पाकिस्तानी कमांडर ने बंता की ट्रिक को उसी पर आजमाने की कोशिश की और जोर से बंता सिंह का नाम पुकारा।

बंता समझ गया कि यह उसे मारने की साजिश रची जा रही है।

उसने भी कमांडर को चकमा देते हुए कहा- मेरा नाम किसने पुकारा।
कमांडर झट से खड़ा होकर बोला मैंने पुकारा।

बस फिर क्या था बंता सिंह ने उसे गोलियों से भून दिया और समझदारी का तमगा हासिल कर लिया।

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सोमवार, 2 जुलाई 2012

कुछ लिखा हुआ -2

मसर्र्ते हसरत रह गई, फासलो ने फिर वफा निभाई
लकीरो ने रूख बदला, फिर वही रूसवाई याद आई.
उनके पहलू को जो समझ बैठे थे दामन अपना,
कही दाग ना लग जाये उसके किनारो को,
ईस ख्याल से कसकर लपेट लिया.
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कुछ लिखा हुआ

तू जो खो जाए तो तुझे बार बार कहा से लाऊ,
घर मे दरवाजा है, दीवार कहा से लाऊ,
कोशिश करता हू पर मै हाथ छुडाऊ कैसे,
मुहब्बतो मे जुर्र्ते इंकार कहा से लाऊ

मेरे हर लफ्जो मे आ और सितारा बन जा
इससे बेहतर कोई इजहार कहा से लाऊ

शहर की भीड मे गुम गई अब आवाजे,
आपकी पायल की सी झंकार कहा से लाऊ.

मेरे पैरो मे रवायतो की जंजीरे है.
मै नये दौर  की सी रफ्तार कहा से  लाऊ

 

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