रविवार, 16 अगस्त 2009

भीड़ का दु:ख

युवती की तेज आती स्कूटर से वह वृद्ध टकरा गया। भीड़ लग गई। चोट दोनों को आई थी। हालात का जायजा ले रहे एक स्वयंसेवी ने वृद्ध को रिक्शे में डाला और अस्पताल की ओर चल पड़ा। रिक्शेवाले ने पूछा-
‘‘भाई साहब थोड़ा चोट तो उस महिला को भी आई थी, फिर आप इन्हें ले जा रहे हैं, क्या ये आपके रिश्तेदार हैं ?’’
‘‘नहीं, उसके लिए तो बहुतों की भीड़ है। अगर मैं उसे वहाँ से ले जाना का प्रयास करता तो भीड़ दु:खी हो जाती।’’

एक ई मेल से मिला ये .
 

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