रविवार, 15 नवंबर 2009

अंग्रेजी नही , हिन्दी बनती है दिमाग को चुस्त -दुरुस्त

विज्ञान पत्रिका " करंट साइंस " में प्रकाशित अनुसन्धान के पुरे ब्यौरे में मस्तिस्क विज्ञानियों का कहना है के अग्रजी बोलते समय दिमाग का सिर्फ बाया हिस्सा सक्रिय रहता है, जबकि हिन्दी बोलते समय मष्तिस्क का दाया और बाया दोनों हिस्से सक्रिय रहते है जिस से दिमागे स्वास्थ्य तरोताजा रहते है. राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसन्धान केंद्र ने यह जानकारी प्रकाशित की है. यदि आप हिन्दीभाषी है ओर आधुनिक सभ्यता के शौकीन होकर बिना जरुरत अंग्रेजी बोलके की लत पाल चुके है तो अब जरा सावधान हो जाइये ....

अब भारतीय भाषाओ में भी होगे वेब पते

क्या आपने अपनी मात्रभाषा में इन्टरनेट में प्रवेश करने के बारे में सोचा है ? यह अब संभव है. डोमेन नामो का प्रबंधन करने वाली संस्था ने अब वेब पते के लिए सात भारतीय भाषाओ के इस्तेमाल के अनुमति दे दी है. वैश्विक गैर लाभकारी संगठन internet corporation for assigned names and number (ICANN) ने सात भारतीये भाषाओ ---हिन्दी तमिल  बंगला उर्दू गुजराती पंजाबी और तेलुगु में वेब पते (web address) की अनुमति देने का फैसले किया है . यह फैसला सोल (कोरिया) में लिया गया. अभी तक वेब पर सभी डोमेन नाम केवल लैटिन अक्षरो ए से जेड़ में...
 

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