रविवार, 6 दिसंबर 2009

कुछ शेर ओ शायरी

आज की इस पोस्ट में मै कुछ अपने पसंदीदा शेर दे रहा हु . ये शेर मेरे नही है बल्कि दूसरो के है, ये कैसे मेरे हाथ लग गए है, कहना मुश्किल है . पर इतना याद है कि करीबन १९९८ में जब एम् बी ऐ कि पड़ी कर रहा था तभी इनका शौक लगा. इधर दो तीन साल से ये छूट गया था. ये ऐसे शेर है जो मेरे जीवन में ख़ास जगह रखते है. पेश ऐ नज़र है :
१.
ठोकरे खा के जो सम्हलते है, वो निजाम ऐ जहा बदलते है,
रौशनी के नए चरागों से , रूह  तपती है , जिस्म जलते है,
रास्तो को हमे बदलना है, रास्ते खुद कहा बदलते है.

 हम अपने गम कि शिद्दत को कम नही करते,
जरा सि बात पर आखो को नाम नही करते ,
बने बनाइये रास्तो पर चलते नही,
तामाम लोग जो करते , हम नही करते.
३.
उमरे दराज़ मांगकर लाये थे चार दिन, दो आरजू में कट गए, दो इंतज़ार में .
४.
है तेरे पास खजाने भी बहुत, तेरे देने के बहाने भी बहुत,
हर घडी तेरी इनायत है नयी , तेरे एहसान पुराने भी बहुत.
५.
सिमट न सका कभी ज़िन्दगी का फैलाव,
कही ख़तम गम ऐ आशिकी नही होता,
निकल आती है कोई न कोई गुंजाइश
किसी का प्यार कभी आखिरी नही होता.
६.
हम तो मसरूफ थे अपनी तनहइयो में ,
मुद्दतो बाद किसी ने पुकारा है,
एक पल ठहर   कर के सोचने लगे,
क्या ये नाम हमारा है?
७.
हुस्न कि ये अदा बेवजह तो नही, कुछ तो है , जिस से पर्दादारी है.
८.
हमे उनकी इबादत से फुर्सत नही मिलती, लोग न जाने  किसको खुदा कहते है.
दिल में रखा है उनको , लोग न जाने क्यों जुदा कहते है.
९.
तुमने सोचा ही नही हालात बदल सकते थे,
अपने आसू मेरे खुशियों से बदल सकते थे ,
तुम तो ठहर गए झील के पानी के तरह,
दरिया बनते तो बहुत दूर तक निकल सकते थे.
१०.
कुदरत  के  करिश्मों  में  अगर  रात  न  होती ,
ख्वाबो  में  उनसे  मुलाकात  न  होती ,
ये  दिल  तो  हर  एक  गम  कि  वजह  है  ग़ालिब ,
ये  दिल  ही  न  होता  तो  कोई बात  न  होती .
११.
उतरे जो ज़िन्दगी तेरी गहराइयों में हम,
महफ़िल में रह कर भी रहे तन्हियो में हम,
दीवानगी नही तो और क्या कहे
इंसान दूढ़ते रही  परछाईयो  में हम .

आम बस इतना ही .....और भी लम्बी लिस्ट है. ..बाद में और भी अपडेट करुगा. पढने के लिए धन्यवाद. कैसा लगा ये कमेंट्स में जरुर बताइयेगा .

रविवार, 15 नवंबर 2009

अंग्रेजी नही , हिन्दी बनती है दिमाग को चुस्त -दुरुस्त

विज्ञान पत्रिका " करंट साइंस " में प्रकाशित अनुसन्धान के पुरे ब्यौरे में मस्तिस्क विज्ञानियों का कहना है के अग्रजी बोलते समय दिमाग का सिर्फ बाया हिस्सा सक्रिय रहता है, जबकि हिन्दी बोलते समय मष्तिस्क का दाया और बाया दोनों हिस्से सक्रिय रहते है जिस से दिमागे स्वास्थ्य तरोताजा रहते है.

राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसन्धान केंद्र ने यह जानकारी प्रकाशित की है.

यदि आप हिन्दीभाषी है ओर आधुनिक सभ्यता के शौकीन होकर बिना जरुरत अंग्रेजी बोलके की लत पाल चुके है तो अब जरा सावधान हो जाइये .

अब भारतीय भाषाओ में भी होगे वेब पते

क्या आपने अपनी मात्रभाषा में इन्टरनेट में प्रवेश करने के बारे में सोचा है ? यह अब संभव है. डोमेन नामो का प्रबंधन करने वाली संस्था ने अब वेब पते के लिए सात भारतीय भाषाओ के इस्तेमाल के अनुमति दे दी है. वैश्विक गैर लाभकारी संगठन internet corporation for assigned names and number (ICANN) ने सात भारतीये भाषाओ ---हिन्दी तमिल  बंगला उर्दू गुजराती पंजाबी और तेलुगु में वेब पते (web address) की अनुमति देने का फैसले किया है . यह फैसला सोल (कोरिया) में लिया गया.
अभी तक वेब पर सभी डोमेन नाम केवल लैटिन अक्षरो ए से जेड़ में उपलब्ध थे . डोमेन नामो (काम, नेट , ओआरजी , इन ) को पहचान लेबल्स के रूप में इस्तेमाल किया जाता है . अब इन्टरनेट के इस्तेमाल करने वाले लोग वेब पते को हिन्दी, उर्दू, बंगला, पञ्जाबी, तमिल, तेलुगु में भी टाइप कर सकेगे, सूचना प्रोद्योगिकी विभाग (डी आई टी ) का प्रतिनिधितिवे करने वाले वरिष्ठ निदेशक श्री गोविन्द ने कहा की वर्ल्ड वाइड वेब (www) पर के क्रन्तिकारी कदम होगा. इस से भारतीय भाषाओ की सम्मानजनक उपस्थिति हो सकेगी. उन्होंने कहा के भविष्य में इसमें और भाषाओ के शामिल किया जायेगा. डी आई टी ने २२ अधिकारिक भारतीय भाषाओ में निशुल्क फॉण्ट देना शुरू किया है. देश भर में इन्टरनेट कैफे का प्रतिनिधित्व करने वाली साइबर कैफे असोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने कहा है की वह देश में भारतीय भाषाओ  के निशुल्क फॉण्ट डाउनलोड की सुविधा उपलब्ध करने जा रही है.
और विवरण देखे बी बी सी पर या याहू पर

रविवार, 4 अक्तूबर 2009

रामायण और विश्व में कहा कहा है ? एक अनुसंधान

भारत के इतिहास में राम जैसा विजेता कोई नहीं हुआ . उन्होंने रावण और उसके सहयोगी अनेक राक्षसों का वध कर के न केवल भारत में शांति की स्थापना की बल्कि सुदूर पूर्व और ऑस्ट्रेलिया तक में सुख और आनंद की एक लहर व्याप्त कर दी. श्रीराम अद्भुत सामरिक प्रक्रम व्यहार कुशलता और विदेश नीति के स्वामी थे. उन्होंने किसी देश पर अधिकार नहीं किया लेकिन विश्व के अनेक देहो में उनकी प्रशंशा के विवरण मिलते है जिससे पता चलता है की उनकी लोकप्रियता दूर दूर तक फैले हुई थी.

आजकल मेडागास्कर कहे जाने वाले द्वीप से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक के द्वीप समूह पर रावण का राज था . राम विजय के बाद इस सरे भू भाग पर राम की कीर्ति फ़ैल गई . राम के नाम के साथ रामकथा भी इसे भाग में फैले और बरसो तक एयः के निवासी के केवन का प्रेरक अंग बनी रही.

श्री लंका और बर्मा में रामायण कई रूपों में प्रचलित है. लोक गीतों के अतिरिक्त रामलीला की तरह के नाटक भी खेले जाती है . बर्मा में बहुत से नाम राम के नाम पर है. रामवती नगर तो राम नाम के ऊपर ही स्थापित हुआ है. . अमरपुर के विहार में राम लक्ष्मण सीता और हनुमान के चित्र आज तक अंकित है. (बर्मा टूरिस्म वेबसाइट पर देखे http://tourism.goldenlandpages.com/rama.html )

मलयेशिया में राम कथा का प्रचार अभी तक है. वह मुस्लिम भी अपने नाम के साथ अक्सर राम लक्ष्मण और सीता नाम जोरते है. यहाँ रामायण को "हिकायत सेरीरम" कहते है. ( देखे http://www.bahasa-malaysia-simple-fun.com/malaysia-art-culture.html ,     http://orias.berkeley.edu/SEARama/RamaMalaysia.htm ,   http://www.scribd.com/doc/9229393/Ramayana ) 

थाईलैंड के पुराने रजवाडो में भरत के भाति राम की पादुके लेक्कर राज्य करने की परंपरा पाय जाती है. वे सभी अपने को रामवंशी मानते है. ( देखे http://www.seasite.niu.edu:85/thai/literature/ramakian/introduction.htm)
यहाँ अजुध्या , लवपुरी और जनकपुर जैसे नाम वाले शेहर है. ( देखे http://www.thaifolk.com/doc/ayudhaya_e.htm and Ayudhya city municipality website http://www.nmt.or.th/ayutthaya/ayutthaya/default.aspx  and Thailand Janakpur http://spirituality.indiatimes.com/articleshow/1364100.cms ) यहाँ पर राम कथा को "रामकीर्ति " कहते है उर मंदिरों में जगह- जगह रामकथा के प्रसंग अंकित है.

हिंद चीन (लाओस, कम्बोडिया, वियतनाम ) के अनाम कई शिलालेखों में राम का यशोगान है. यहाँ के निवासियों में ऐसा विस्वास प्रचलित है की वे वानर कुल से उत्पन है और श्रीराम नाम के रजा यहाँ के सर्वप्रथम शाशक थे. रामायण पर आधारित कई नाटक यहाँ के साहित्य में भी मिलता है.

कम्बोडिया में भी हिन्दू सभ्यता के अन्य अंगो के साथ साथ रामायण का प्रचलन आज तक पाया जाता है. छटी शताब्दी के एक शिलालेख के अनुसार वहां कई स्थानों पर रामायण और महाभारत का पाठ होता था.

जावा में रामचंद्र राष्ट्रीय पुरुषोत्तम के रूप में सम्मानित है. वहां के सबसे बड़ी नदी का नाम सरयू है. (देखे http://www.borobudurpark.co.id/en-ramayana2.html and http://indahnesia.com/indonesia/JAWRAM/ramayana.php)रामायण के कई प्रसंगों के आधार पर वह आज भी रात रात भर कठपुतलियों का नाच होता है . (देखे JAVA PUPPET DANCE http://www.metacafe.com/watch/1235369/modern_shadow_puppet_play_java_indonesia/ )

जावा के मंदिरों में वाल्मीकि रामायण के श्लोक जगह जगह अंकित मिलते है. सुमात्रा द्वीप का वाल्मीकि रामायण में "स्वर्णभूमि " नाम दिया गया है. रामायण यहाँ के जनजीवन में वैसे ही अनुप्राणित है जैसे भारतीयों के. \
बाली द्वीप भी थाईलैंड, जावा, सुमात्रा की तरह आर्य संस्कृती का एक दूरस्थ सीमा स्तम्भ है .. रामायण का प्रचार यहाँ भी घर घर है.

इन देशो के अतिरिक्त फिलीपींस , चाइना, जापान, प्राचीन अमेरिका तक राम कथा का प्रभाव मिलाता है.

मेक्सिको और मध्य अमेरिका के माया सभ्यता और इंका सभ्यता पर प्राचीन भृत्य संस्कृति की जो छाप मिलती है उसमे रामायण कालीन संस्कारो का प्राचुर्य है. पेरू में रजा अपने को सूर्यवंशी की नहीं बल्कि " कौश्ल्यासुत राम " के वंशज भी मानते है. . "राम सितव " नाम से आज भी यहाँ "राम सीता उत्सव " मनाया जात है जो की लगभग भारत में नवरात्री के समय ही वह मनाया जाता है. In Peru and south America
http://vedicempire.com/index.php?option=com_content&task=view&id=25&Itemid=26   http://www.voiceofdharma.com/books/civilization/partI3.htm )

शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

गायत्री मंत्र पर महापुरुषों के विचार

दुर्गा पूजा के अवसर पर सभी पाठको को शुबेच्छा एवं हार्दिक अभिनन्दन . कलकाता के पूजा के माहौल में सब कुछ देविमोय हो जाता है . मेरी तो पंडाल आदि घुमने की हिम्मत नही हो पा रही है. इतने भीड़ और एक उन्माद सा लगता है. वैसे पूजा एवं भक्ति के इस माहौल में पेश है कुछ गायत्री मंत्र के बारे में .

गायत्री मंत्र पर महापुरुषों के विचार


गायत्री मंत्र व उसका अर्थ

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

अर्थः उस प्राण स्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान
"गायत्री मंत्र का निरन्तर जप रोगियों को अच्छा करने और आत्माओं की उन्नति के लिऐ उपयोगी है। गायत्री का स्थिर चित्त और शान्त ह्रुदय से किया हुआ जप आपत्तिकाल के संकटों को दूर करने का प्रभाव रखता है।"
-महात्मा गाँधी

"ऋषियों ने जो अमूल्य रत्न हमको दिऐ हैं, उनमें से ऐक अनुपम रत्न गायत्री से बुद्धि पवित्र होती है।"
-महामना मदन मोहन मालवीय

"भारतवर्ष को जगाने वाला जो मंत्र है, वह इतना सरल है कि ऐक ही श्वाँस में उसका उच्चारण किया जा सकता है। वह मंत्र है गायत्री मंत्र।"
-रवींद्रनाथ टैगोर

"गायत्री मे ऍसी शक्ति सन्निहित है, जो महत्वपूर्ण कार्य कर सकती है।"
-योगी अरविंद

"गायत्री का जप करने से बडी‍-बडी सिद्धियां मिल जाती हैं। यह मंत्र छोटा है, पर इसकी शक्ति भारी है।"
-स्वामी रामकृष्ण परमहंस

"गायत्री सदबुद्धि का मंत्र है, इसलिऐ उसे मंत्रो का मुकुटमणि कहा गया है।"
-स्वामी विवेकानंद

रविवार, 16 अगस्त 2009

भीड़ का दु:ख

युवती की तेज आती स्कूटर से वह वृद्ध टकरा गया। भीड़ लग गई। चोट दोनों को आई थी। हालात का जायजा ले रहे एक स्वयंसेवी ने वृद्ध को रिक्शे में डाला और अस्पताल की ओर चल पड़ा। रिक्शेवाले ने पूछा-
‘‘भाई साहब थोड़ा चोट तो उस महिला को भी आई थी, फिर आप इन्हें ले जा रहे हैं, क्या ये आपके रिश्तेदार हैं ?’’
‘‘नहीं, उसके लिए तो बहुतों की भीड़ है। अगर मैं उसे वहाँ से ले जाना का प्रयास करता तो भीड़ दु:खी हो जाती।’’

एक ई मेल से मिला ये .

रविवार, 3 मई 2009

कमाई करे रु २०००/= प्रति दिन ...आसान इन्टरनेट में पार्ट टाइम काम

जरुरत है पार्ट टाइम जॉब करने के लिए लोगो की , कोई निवेश की जरुरत नही , सिर्फ़ इन्टरनेट पर आसान फॉर्म भरने का काम करना है ।
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करे

रविवार, 22 मार्च 2009

ये वेबसाइट क्यों ?

काफ़ी समय से लिख नही पा रहा हु ।समय ही नही मिल पा रहा है । शर्मिंदगी होती है तब ज्यादा जब कई प्रेमी पाठक मेरी इस साईट पर आते है । कुछ पूछते भी है , परन्तु जवाब देने का टाइम नही मिल पा रहा है । फ़िर भी बहुत लोगो के ईमेल मिले , --पूरे विश्व से , की इस साईट को क्यों शुरू किया ? क्या प्रेरणा है ?
इसलिए आज कम से कम इस सवाल का जवाब देने के लिए आना ही पड़ा । इसका मतलब नही है की बाकी सवालो का जवाब नही दूगा !!! उसके भी नम्बर आएगा ॥
तो बता दू की इस साईट बनाने के प्रेरणा कहा से मिली । बात पिछले वर्ष करीब अगस्त महीने की है । तब एक मीटिंग के लिए श्रीमान केवल क्रिशन जी , जो की तकनिकी निदेशक है , भारत सरकार के संचार और सूचना प्रोद्योदिकी मंत्रालय में , का आगमन कोल्कता में हुआ । एअरपोर्ट से मीटिंग स्थल तक आते हुए उन्होंने मुझे बड़े ही प्रेरणादायक तरीके से कंप्युटर में हिन्दी अनुप्रयोगों के बारे में बताया । साथ ही साथ यूनिकोड पर भी बहुत कुछ समझाया । उनकी कमिटमेंट देख के कुछ हिन्दी के लिए भी करने की इच्छा हुई । काफी माथा पच्ची करने के बाद सोचा क्यों न एक ऐसा वेबसाइट बनाऊ जिसमे सभी हिन्दी भाषी न केवल मेरी "सुन" सके बल्कि अपनी "कह" भी सके । साथ ही साथ मुझे एक ऐसा यूनिकोड प्लेटफोर्म चाहिए था जहा हिन्दी के लिए मुश्किल कम हो।
साथ ही साथ राजभाषा विभाग के लोगो का भी प्रोत्साहन मिला तो बस , सो थोड़ा सा प्रयास , थोडी से प्रेरणा , और कई महीनो की रातो को जाग जाग कर कुछ बनाने की जूनून और महनेत ने इस को खड़ा कर दिया । फ़िर बाद में बहुत से पाठको और वेबसाइट पर आने वाले विश्व भर के मेहमानों ने बहुत हौसला अफजाई की तो , बस क्या था ?
तो बस येही कहानी है इसकी ....थोड़ा टाइम जल्दी ही फ़िर निकालूगा ..ताकि आपके द्वारा पूछे गई सारे कोम्पुटर , टेक्नोलॉजी , और वेबसाइट विकास की सभी जिज्ञासा का समाधान कर सकू । तब तक के लिए एक चीज दे कर जा रहा हु ----इंतज़ार

शनिवार, 3 जनवरी 2009

विंडोज मे आफलाईन हिन्दी ट्रांसलिटरेशन कैसे करे .

हमारे एक सुधि पाठक ने पुछा है की ऑफलाइन तरीके से ट्रांस्लितेरेशन हिन्दी कैसे टाइप किया जा सकता है ? ये बहुत ही आसान है . विन्डोज़ -XP में हिन्दी के यूनिकोड फोंट्स पहले से होते है . बस उन्हें एनाबले करना होता है . ये तरीका हम बता देते है . इसको एनाबले करने के साथ साथ आपको मैक्रोसोफ्ट का एक टूल लगना पड़ेगा , उसका भी तरीका भी बता देते है. आगे दिए गई स्टेप्स को फोलो करिए.

1. विंडोज में हिन्दी सपोर्ट इनेबल करना: अपने कंप्यूटर के Control Panel में जाएँ। वहाँ Regional and Languages Options को क्लिक करें। वहाँ Languages टैब पर क्लिक करें। अब Install files for complex scripts को चुनें, OK क्लिक करें। मांगे जाने पर Windows-XP की CD डालें। (इस्मे एक फोल्डर होता है जिसे i386 केह्ते है ) इससे Indic Languages (हिन्दी सहित) सपोर्टआप के कंप्यूटर पर स्थापित हो जाएगा। स्थापन के अंत में आप को कंप्यूटर रिबूट करना पड़ सकता है।

2. Indic IME डाउनलोड करना: माइक्रोसॉफ्ट भाषाइंडिया की साइट से Hindi Indic IME 1 (v5.1) डाउनलोड करें।

3. Indic IME इंस्टाल करना: hindi_IME_setup.zip आप के चुने फोल्डर में संचित हो जाएगी। इस फाइल को अपनी पसन्द के फोल्डर में unzip कर लें।

setup.exe नाम की फाइल को चला दें । Hindi Indic IME1 आप के कंप्यूटर पर स्थापित हो जाएगा।

4. इंडिक आईएमई का कीबोर्ड जोड़ना: Details बटन को दबाएँ। अब Add बटन को दबाएँ Input language सूचीमें से हिन्दी चुनें, Keyboard layout/IME डिब्बे को सक्रिय करें, और सूची में से Hindi Indic IME1 (v5.1) चुनें।

इन निर्देशों को इस चित्र में होते देख सकते हैं :
ime1v5.gif


5. लैंग्वेज स्विचिंग कुंजी सैट करना: ALT+SHIFT से आप कुंजीपट बदल सकते हैं।

6. ऊपर की क्रिया पूरी होने के बाद आप के स्क्रीन के निचले दाहिने कोने में टास्कबार में एक बटन बन जाएगा जिस को क्लिक कर के आप अपनी टाइपिंग की भाषा बदल सकते हैं।

ये जानकारिया बहुत सारे हिन्दी ब्लोग्स पर पहले से ही है । अगर आप कुछ हिन्दी ब्लोग्स पर भ्रमण करे तो और भी तरीके मिल सकते है। पर मै तो इस तरीके को आसान समझता हु .

जब ये हो जाये तो मेरे ब्लाग पर टिप्प्णी करके सुचित करें. अपने ब्लाग को सजाने के कई चीजे है . क्या पहले जानना चाहेगे?

 

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