Author: Manoj Kumar Soni
| Posted at: 11:37 am |
Filed Under: कविता,
चुटकुले
युवती की तेज आती स्कूटर से वह वृद्ध टकरा गया। भीड़ लग गई। चोट दोनों को आई थी। हालात का जायजा ले रहे एक स्वयंसेवी ने वृद्ध को रिक्शे में डाला और अस्पताल की ओर चल पड़ा। रिक्शेवाले ने पूछा- ‘‘भाई साहब थोड़ा चोट तो उस महिला को भी आई थी, फिर आप इन्हें ले जा रहे हैं, क्या ये आपके रिश्तेदार हैं ?’’ ‘‘नहीं, उसके लिए तो बहुतों की भीड़ है। अगर मैं उसे वहाँ से ले जाना का प्रयास करता तो भीड़ दु:खी हो जाती।’’
मनोज कुमारजी आपके प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद् .मेरी यह खुजली अभी नयी है |करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान| धीरे धीरे सीख ही जाऊँगा | आपके दोनों ब्लौग देखे |अच्छी और रोचक जानकारी है दोनों पर. | ब्लाग पर अलग से टिपण्णी की सुविधा न होने के कारण इस प्रविष्टि के माध्यम से आपको लिख रहा हूँ अभय लोकरे
5 comments:
भई वाह मजा आ गया। हमें भी पढें।
अच्छा द्रष्टान्त है यह कमजोर और बेसाहारा लोगों को मदद करने की सीख देता है
जो हर इन्सान को करना चाहिए
धन्यवाद
bhai zabardast !!!
wa sa wa
मनोज कुमारजी
आपके प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद् .मेरी यह खुजली अभी नयी है |करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान| धीरे धीरे सीख ही जाऊँगा |
आपके दोनों ब्लौग देखे |अच्छी और रोचक जानकारी है दोनों पर. |
ब्लाग पर अलग से टिपण्णी की सुविधा न होने के कारण इस प्रविष्टि के माध्यम से आपको लिख रहा हूँ
अभय लोकरे
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