बुधवार, 3 दिसंबर 2008

कुछ कविताए

एक सफल एव जन जन के प्यारे कवि श्री अशोक चक्र्धर की कुछ कविताए :
बुनियादी सवाल :
कभी-कभी बच्चे
बाते करते है बुनियादी
सनेहा की एक बात ने
मेरी नीद भुला दी .
चौरासी के दंगो मे
जब कालौनी मे
मचा था हाहाकार,
सनेहा ने पुछा - पापा,
हम हिन्दु है या सरदार?
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तेरा है :
तु गर दरिन्दा है तो ये मसान तेरा है,
अगर परिन्दा है तो आसमान तेरा है.
तबाहिया तो किसी और की तलाश मे थी.
कहा पता था उन्हें ये मकान तेरा है.
छलकने मत दे अभी अपने सब्र का प्याला,
ये सब्र ही तो असल इम्तेहान तेरा है.
भुला दे अब तो भुला दे कि भूल किसकी थी,
ना भूल प्यारे कि हिन्दोस्तान तेरा है.
न बोलना तो मत बोल ये तेरी मर्जी
है, चुप्पियो मे मुकम्मिल बयान तेरा है.
हो चाहे कोई भी तु, हो खडा सलीकेसे
ये फिल्मी गीत नहीं, राष्ट्रगान तेरा
 

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