बुधवार, 3 दिसंबर 2008

संभलकर करें लाइफ इंश्योरेंस का क्लेम

नई दिल्ली।मौत पर किसी का जोर नहीं चलता है। जब यह आती है, भावनात्मक रूप से नुकसान होने के साथ-साथ कई अन्य मुसीबतें भी खड़ी हो जाती हैं। यदि मरने वाले व्यक्ति ने कोई इंश्योरेंस पॉलिसी करवाई है तो उसके उत्तराधिकारी उसे कैसे क्लेम कैसे करे ? आइए जानें तरीका.
डॉक्यूमेंट एकत्र करें
पहले तो इंश्योरेंस कवर के सारे डॉक्यूमेंट एकत्रित करें। यदि नॉमिनी के पास वास्तविक पॉलिसी है तो क्लेम लेने में थोड़ी आसानी हो जाती है। यदि उसके पास पॉलिसी नहीं है तो पॉलिसी धारक के बारे में जानकारी जैसे कि उसका नाम, पॉलिसी नंबर या पॉलिसी जारी करने की तिथि इंश्योरेंस कंपनी को देनी होगी। इस पूरी प्रक्रिया में काफी वक्त खर्च होता है। इसलिए बेहतर है कि अपने नॉमिनी को डिटेल की पूरी जानकारी पहले ही मुहैया करवा दें।
एजेंट को बुलाएं
इसके बाद आप इंश्योरेंस एजेंट को बुलाएं। वह इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम लेने में आपकी सहायता करेगा। लेकिन यदि नॉमिनी को पता नहीं है कि इंश्योरेंस एजेंट कौन है तो उसे खुद ही कंपनी के पास जाकर क्लेम करना होगा। क्लेम फॉर्म में नॉमिनी को मृत्यु के दिन, जगह व कारण की जानकारी, इंश्योरेंस पॉलिसी डिटेल के साथ देनी होगी।
क्लेम फॉर्म के साथ सारे डॉक्यूमेंट भी लगाने चाहिए। सबसे ज्यादा जरूरी है डैथ सर्टिफिकेट, जोकि नगर पालिका द्वारा जारी किया जाता है। इसके साथ ही उस डॉक्टर के बयान की कॉपी भी लगानी जरूरी होती है जिसने मरने से पहले पॉलिसीधारक का इलाज किया था।
एक्सीडेंट:एफआईआर जरूरी
दूसरी तरफ यदि मृत्यु किसी एक्सीडेंट से होती है, तो पुलिस के समक्ष एक एफआईआर (फस्र्ट इनफॉरमेशन रिपोर्ट) दर्ज करवानी भी जरूरी है।एफआईआर की एक कॉपी क्लेम फार्म के साथ लगानी जरूरी है। इसके साथ ही पुलिस की इनक्वेस्ट रिपोर्ट, जिसमें मृत्यु के कारणों की जानकारी और एक पोस्टमार्टम रिपोर्ट (यदि पोस्टमार्टम करवाया गया है) भी साथ में लगानी होगी। नॉमिनी को इस बात का भी प्रूफ देना होगा कि वही नॉमिनी है जिसका पॉलिसी में जिक्र है।
इस केस में फोटो आइडेंटिटी कार्ड की कापी डॉक्यूमेंट के साथ लगाई जा सकती है। क्लेम फाइल करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं है। नॉमिनी को केवल इस बात का प्रूफ देना होगा कि पॉलिसीधारक की मृत्यु के समय पॉलिसी चालू थी।
पॉलिसी लैप्स होने पर क्या
अगर पॉलिसीधारक ने प्रीमियम का भुगतान नहीं किया है तो उसकी पॉलिसी लैप्स हो जाएगी। अब ऐसी स्थिति में क्या होगा? टर्म इंश्योरेंस की दशा में इंश्योरेंस कंपनी क्लेम पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी। लेकिन किसी दूसरी पॉलिसी में कंपनी थोड़ा नरम रुख लेकर चलती है। यदि पॉलिसीधारक ने लगातार तीन वर्ष तक प्रीमियम का भुगतान किया है और उसके बाद प्रीमियम का भुगतान नहीं कर पाया है तो भी इंश्योरेंस कंपनी थोड़ा नरम रुख लेकर चलती है। प्रीमियम और अन्य खर्च काटने के बाद सम-एश्योर्ड की राशि का भुगतान कर दिया जाता है।
इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम
ड्यू तारीख से प्रीमियम का भुगतान करने के लिए 15 दिन का अतिरिक्त समय दे देती हैं। यदि इस बीच पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है तो भी पॉलिसी चालू रहती है और न भरे हुए प्रीमियम को काट कर सम-एश्योर्ड का भुगतान कर दिया जाता है।

3 comments:

बेनामी ने कहा…

ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये.

बेनामी ने कहा…

ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. दूसरों को राह दिखाते रहिये. आगे बढ़ते रहिये, अपने साथ-साथ औरों को भी आगे बढाते रहिये. शुभकामनाएं.

साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.

बेनामी ने कहा…

bahut hee upyogi jankari di hai, bibi ko kahunga kee sambhal kar rakhe, kyonki kaam to usi ke aayegi

 

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