नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। महंगे कच्चे तेल के चलते देश का आयात बिल बेहद खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है। नतीजतन व्यापार घाटा भी दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ता जा रहा है। आयात और व्यापार घाटे की इतनी तेज वृद्धि के चलते निर्यात में अच्छी खासी वृद्धि का उत्साह भी जाता रहा है। हाल के कुछ दिनों में डालर की मजबूती से साफ है कि आने वाले दिनों में भी आयात-निर्यात के आंकड़े अर्थव्यवस्था के अनुकूल नहीं रहेंगे।
उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त, 2008 में आयात में डालर के हिसाब से 51.2 फीसदी की वृद्धि हुई है। जबकि पहले पांच महीनों [अप्रैल से अगस्त, 2008] में आयात में 37.7 फीसदी का इजाफा हुआ है। अगस्त में आयात में 26.9 फीसदी और अप्रैल से अगस्त के दौरान 35 फीसदी की वृद्धि हुई है। अगर रुपये के हिसाब से बात करें तो अगस्त, 2008 में निर्यात में 33.5 फीसदी और आयात में 59 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। माना जा रहा है कि काफी समय बाद किसी एक महीन में आयात में 50 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है।
इसके चलते देश का व्यापार घाटा भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। इस वर्ष अगस्त में व्यापार घाटा लगभग 14 अरब डालर का हो गया है जबकि अगस्त, 2007 में 7.19 अरब डालर का व्यापार घाटा था। अगर पूरे वित्त वर्ष की बात करें तो व्यापार घाटा 49 अरब डालर का हो जाता है। पिछले कई महीनों से व्यापार घाटे की स्थिति खराब करने में कच्चे तेल की भूमिका सबसे अहम रही है। इस बार भी कहानी कुछ दूसरी नहीं है। कच्चे तेल के आयात बिल में अगस्त, 2008 में 77 फीसदी की वृद्धि हुई है।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें