रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस उद्देश्य से धारा 138 में संशोधन कर चैक बाउंसिग मामलों को तेजी से निपटाने का प्रबंध किया गया था, वह विफल हो गया है। आयोग मानता है कि मामलों को तेजी से निपटाया जाए, यह नागरिक का मौलिक आधिकार भी है। मामला लंबे समय तक लंबित रहने से ईमानदार नागरिकों और व्यावसायिक समुदायों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
देश की राजधानी दिल्ली में चैक बाउंसिग के पांच लाख 14 हजार 533 केस लंबित हैं। रोजाना लगभग ढाई हजार नए केस जुड़ रहे हैं जबकि इन केसों के निस्तारण का प्रतिशत बहुत कम है। दिल्ली की कुल अदालतों का दो तिहाई हिस्सा चैक बाउंसिंग केसों से ही जूझ रहा है।
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